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Success Story of Gitanjali Rao - छोटी उम्र की बड़ी आविष्कारक

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Success Story of Gitanjali Rao - छोटी उम्र की बड़ी आविष्कारक : प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती . बारह वर्षीय गीतांजलि राव ने इसे चरितार्थ किया है . यूएस के कोलरैडो स्थित स्कूल के सातवीं कक्षा की विद्यार्थी गीतांजलि ने ' टेथिज ' नामक एक ऐसा उपकरण डिजाइन किया है , जो मौजूदा तरीकों की तुलना में तेजी से और कम खर्च में पीने के पानी में घुले शीशे की मात्रा की पहचान करता है . इस आविष्कार के साथ गीतांजलि वर्ष 2017 में डिस्कवरी एजुकेशन 3 एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज भी जीत चुकी हैं . 



नौ साल की उम्र में शुरू किया शोध 



 गीतांजलि जब नौ साल की थीं , तो समाचार के माध्यम से उन्हें पता चला कि मिशिगन के फ्लिंट शहर का पानी शीशे की वजह से बहुत ज्यादा प्रदूषित है . इसके बाद गीतांजलि ने इस संबंध शोध करना शुरू किया . अगले कुछ सालों तक वे इस पर काम करती रहीं . इस विषय में जानकारी जुटाने के बाद उन्हें पता चला कि शीशा युक्त पानी देश - दुनिया में किस तरह लाखों लोगों की सेहत खराब कर रहा है .

 इसी दौरान उन्होंने अपने माता - पिता को पानी में शीशे की जांच करते देखा और पाया कि टेस्ट स्ट्रिप से शीशे की सही मात्रा पता करने के लिए कई बार जांच करनी पड़ती है और इसमें काफी समय लगता है . इस बात ने उनके मन में यह चाह उत्पन्न की कि क्यों न कोई ऐसा उपकरण बनाया जाये , जो एक बार में ही पानी में शीशे की सही मात्रा बता दे .



अपने शोध के दौरान गीतांजलि ने यह भी पाया कि दुनियाभर में पानी में घुले शीशे के स्तर की माप के लिए पुरानी पड़ चुकी संरचनाओं का इस्तेमाल किया जाता है . इससे भविष्य में इस समस्या के और भी ज्यादा गंभीर होने की संभावना है .


ऐसे आया टेथिज डिजाइन करने का आइडिया 



 टेथिज डिजाइन का शुरुआती आइडिया गीतांजलि को तब आया , जब उन्होंने कॉर्बन नैनोट्यूब और सेंसर के तौर पर उसके उपयोग पर एमआईटी ( मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ  टेक्नोलॉजी ) का एक आलेख पढ़ा . इस विषय के बारे में और जानने के लिए उन्होंने एमआईटी के प्रोफेसर से गाइडेंस लिया . 

 टेथिज के प्रारूप के पहले संस्करण को डेवलप करने से पहले गीतांजलि ने इस बारे में अनेक बार अनुसंधान व जांच किया तथा अनेक बार यह प्रारूप विकास से चरणों से गुजरा . गीतांजलि अभी भी डेनवर वाटर के साथ साझेदारी में स्केल परीक्षण पर काम कर रही हैं . टेथिज कॉर्बन नैनोट्यूब सेंसर तकनीक का उपयोग करता है और मोबाइल फोन पर तात्कालिक परिणाम बता देता है . 


माता - पिता ने किया हर कदम पर सहयोग 



 गीतांजलि कहती हैं कि उनकी खोज को लेकर उनके शिक्षक , दोस्त और माता - पिता बेहद उत्साहित थे . उन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया , आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया . कभी भी उनकी क्षमता पर संदेह नहीं किया . साइंस के अलावा गीतांजलि को मिथकों और विभिन्न देशों की कहानियां पढ़ना अच्छा लगता है . वे कहती हैं कि कोशिश करने से डरना नहीं चाहिए और असफलता सीखने की प्रक्रिया का भाग है . 


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