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Success Story of Payal Jangid, सामाजिक कार्यकर्ता - पायल की शिद्दत को दुनिया ने सहारा

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Success Story of Payal Jangid, सामाजिक कार्यकर्ता - पायल की शिद्दत को दुनिया ने सहारा : जयपुर से 100 किमी की दूरी पर है हिंसला गांव इस गांव की 17 वर्षीय बेटी पायल जांगिड़ को इसी 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर चेंजमेकर पुरस्कार प्रदान किया गया है . इस पुरस्कार से सम्मानित होनेवाली वह पहली भारतीय हैं . फाउंडेशन की ओर से युवा पीढ़ी के जुझारू नवप्रवर्तकों को यह सम्मान दिया जाता है . पायल ने महज 11 वर्ष की उम्र से ही हिंसला और आसपास के गांव में बाल विवाह के खिलाफ मुहिम चला रही हैं.


Success story of payal jangid



बाल विवाह के खिलाफ मुहिम 



 पायल जब 11 वर्ष की थीं , तो उनके माता - पिता ने उनकी शादी करने की कोशिश की.पायल के मना करने पर उन्होंने उन पर दबाव बनाया , लेकिन पायल ने अपने विवाह की खिलाफत की.इसे रोकने के लिए उन्होंने अपने क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता से संपर्क किया . कार्यकर्ता के समझाने के बाद पायल के पिता मान गये और विवाह स्थगित कर दिया . 

अपने साथ हुए इस वाकये के बाद उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ मुहिम की शुरुआत की . उन्होंने ठान लिया कि अब वे अपने गांव में किसी का भी बाल विवाह नहीं होने देंगी . अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने क्षेत्र के जागरूक नागरिकों की मदद से बच्चों , युवाओं और महिलाओं का समूह गठित किया . 


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यह समूह हिंसला व आसपास के गांव में धरना - प्रदर्शन , रैली , पोस्टर , दीवारों पर पेंटिंग , घर - घर जाकर बड़े - बुजुर्ग व बच्चों से बात कर उन्हें बाल विवाह न करने के लिए मनाने का काम करने लगा . आखिरकार मेहनत रंग लायी और गांववालों को समझ आया कि बाल विवाह कर वे अपनी बच्चियों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं . इस रोस सराहनीय प्रयास के कारण पायल गांव के बाल पंचायत की नेता चुनी गयीं.यह पंचायत एक युवा मंच है , जो गांव के मेयर तक अपनी बात पहुंचाता है . इसमें अलग - अलग गांव के 50 बच्चे शामिल हैं . 


पिता को बेटी पर है गर्व 



 पायल की जिंदगी का अब एक ही मकसद रह गया है , किसी भी कीमत पर भारतीय समाज से बाल विवाह व बाल श्रम जैसी कुप्रथा को खत्म करना . इस मुहिम में पायल को अपने क्षेत्र की ग्राम पंचायतों और प्रशासन से भी भरपूर मदद मिल रही है . पायल के पिता पप्पूराम जांगिड़ को अपनी बेटी की पहल पर गर्व है . वे कहते हैं , पायल के कार्यों से गांवों में काफी बदलाव आया है . आज लगभग सभी बच्चे स्कूल जा रहे हैं . पिछले आठ - दस सालों में गांव में एक भी बाल विवाह नहीं हुआ है . 


यंग अचीवर पुरस्कार से सम्मानित 



 पायल के न्यूयॉर्क में चेंजमेकर पुरस्कार से सम्मानित होने पर कैलाश सत्यार्थी बेहद खुश नजर आये . उन्होंने कहा , ' पायल जैसे उत्साही युवा ही मौजूदा पीढ़ी का भविष्य संवार सकते हैं.पायल से पूरे समाज को अब परिवर्तनकारी नेतृत्व की उम्मीद की जानी चाहिए . उनकी सक्रियता से राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैली है और वहां परिवर्तन की लहर साफ - साफ दिखने भी लगी है . 

पायल कहती हैं कि यह सम्मान उन्हें बच्चों के शोषण के खिलाफ लड़ाई जारी रखने लिए आगे भी प्रेरित करता रहेगा . अपने काम के लिए पायल को 2013 में विश्व बाल पुरस्कार के जूरी सदस्य के रूप में चुना गया था . वर्ष 2017 में , उन्हें रीबॉक द्वारा यंग अचीवर पुरस्कार भी मिल चुका है.

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