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Success Story Of Aanchal Gangwal,Pilot - मजबूत हौसले ने दिलाई मंजिल

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कहते हैं , ' पंखों से नहीं , हौसलों से उड़ान होती है ' . एयरफोर्स में चयनित नीमच , मध्य प्रदेश की रहनेवाली 24 वर्षीय आंचल गंगवाल ने इसी हौसले के दम पर कामयाबी हासिल की है . पांच बार मिली असफलता भी आंचल को उनकी राह से डिगा नहीं सकी और वे अपने सपने को पूरा करने के लिए जी - जान से जुटी रहीं . 

Success Story Of Anchal Gangwal,Pilot


जुनून ने दिलायी कामयाबी



 स्कूली दिनों से ही आंचल फाइटर पायलट बनने का सपना देखा करती थीं , लेकिन परिवार की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वे इस परीक्षा की तैयारी कर सकें . सो 12वीं के बाद उन्हें छात्रवत्ति मिली और वे आगे की पढ़ाई के लिए उज्जैन चली गयीं . इसके बाद आंचल ने सरकारी नौकरियों के लिए प्रतियोगिता में बैठना शुरू किया . जल्द ही पुलिस सब - इंस्पेक्टर में उनका चयन हो गया और वे प्रशिक्षण के लिए चली गयीं .


लेकिन यहां की दिनचर्या बेहद कठिन थी , ऐसे में आंचल अपने ड्रीम जॉब की तैयारी के . लिए समय नहीं निकाल पा रही थी . इसलिए वे सही समय की प्रतीक्षा करने लगी . जैसे ही लेबर इंस्पेक्टर पद के लिए उनका चयन हुआ , उन्होंने उसे ज्वॉयन कर लिया और नौकरी के साथ एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट ( एएफसीएटी ) की तैयारी करने लगी . 

लेकिन यहां की राह भी उनके लिए आसान नहीं थी . लगातार पांच बार वे इंटरव्यू में असफल रहीं . लेकिन जुनून की धनी आंचल ने हिम्मत नहीं हारी और तैयारी में लगी रहीं . आखिरकार छठी बार में सफलता उनके हाथ लगी और वे एयर फोर्स के फ्लाइंग ब्रांच के लिए चुनी ली गयीं . 


छह लाख परीक्षार्थी शामिल हुए



एएफसीएटी में देश भर से कुल छह लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे , जिसमें महज 22 लोग ही चुने गये हैं . इन चयनित अभ्यर्थियों में आंचल भी एक हैं . इस परीक्षा में कुल पांच महिलायें चुनी गयी हैं . इतना ही नहीं , मध्य प्रदेश से एयरफोर्स के लिए चयनित होनेवाली आंचल एकमात्र महिला हैं . 


सेना के कार्यों से मिली एयरफोर्स में जाने की प्रेरणा 



आंचल जब 12वीं कक्षा में पढ़ती थीं तब उत्तराखंड में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचायी थी . उस दौरान सैन्य बलों द्वारा किये गये बचाव व राहत कार्यों ने उनके मन पर गहरी छाप छोड़ी . यहीं से उनके मन में देश सेवा के जज्बे ने जन्म लिया और उन्होंने निर्णय कर लिया कि वे भी सेना का हिस्सा बनेंगी . 

हालांकि तब उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी . लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि एक दिन वे भारतीय सेना का हिस्सा जरूरी बनेंगी . इस वर्ष 7 जून को घोषित परिणाम ने उनके इस सपने को हकीकत में तब्दील कर दिया . 


पिता ने दिया हर कदम पर साथ



 आंचल के पिता सुरेश गंगवाल नीमच बस | स्टैंड पर चाय बेचने का काम करते हैं . लेकिन उन्होंने अपनी आर्थिक तंगी को कभी अपने बच्चों की पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दी और हर कदम पर उनका साथ दिया . आंचल शुरू से ही मेघावी रही हैं . 

वे हमेशा अपने क्लास में प्रथम आती थीं और अपने स्कूल की कप्तान भी रह चुकी हैं . पढ़ाई के अलावा उनकी रुची खेलों में भी रही है . वे स्कूल बास्केटबाल टीम का हिस्सा रह चुकी हैं और 400 मीटर दौड़ में भी भाग ले चुकी हैं . 

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