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Success Story of Gautham Rabindran, Founder of 360 Degree - युवाओं को सशक्त बनाने की पहल

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Success Story of Gautham Rabindran, Founder of 360 Degree - युवाओं को सशक्त बनाने की पहल : आज के युवा दुनिया को बहुत अधिक सकारात्मक , दयालु और हरियाली वाली जगह में बदल सकते हैं . इस उम्मीद के साथ हम युवाओं को सशक्त बनाने की कोशिश करते हैं . दुनिया को खूबसूरत बनाने के इस भरोसे के साथ गौतम रवींद्रन समाज सेवा की ओर मुड़ गये . 

Success Story of Gautham Rabindran, Founder of 360 Degree


दोस्तों के साथ शुरू की समाजसेवा 



 बचपन में रवींद्रन एक फोटोग्राफर बनने का सपना देखा करते थे.इसी को साकार करने के लिए तकरीबन चार साल पहले 12 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पांच दोस्तों के साथ एक फोटोग्राफी ग्रुप के रूप में 360 डिग्री ' की शुरुआत की थी . तब उन्होंने यह कल्पना नहीं की कि उनका यह ग्रुप एक दिन छात्रों को सामाजिक उद्यमिता के लिए तैयार करनेवाला  एक संगठन बन जायेगा . आज यह संगठन युवाओं में सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई शहरों में काम करता है . 

 केरल के तिरुवनंतपुरम में रहनेवाले गौतम रवींद्रन एक 23 वर्षीय लॉ ग्रेजुएट हैं . रवींद्रन ने वर्ष 2016 में अपने गैर - सरकारी संगठन ( एनजीओ ) 360 डिग्री के माध्यम से छात्रों के बीच सामाजिक उद्यमिता की एक अभिनव अवधारणा की शुरुआत की . आज उनके वॉलंटियर त्रिवेंद्रम , बेंगलुरु , अमृतसर के साथ साथ कालीकट में युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं .


कुछ बेहतर करने की सोचसे बना रास्ता 



 रवींद्रन ने जब 360 डिग्री की शुरुआत की तब उसके पास महज कुछ प्रदर्शनियां लगाने भर की क्षमता थी.चैरिटी में मिली राशि देखकर रवींद्रन और उनके दोस्तों को लगा कि इस पैसे से समाज को बेहतर बनाने के लिए कुछ करना चाहिए . उनकी इस सोच और पहल को लोगों का साथ मिला.'लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया ' की तर्ज पर पांच किशोरों के इस समूह में बड़े पैमाने पर छात्र शामिल होते गये .

 यह संभव हुआ , तो सिर्फ इससे जुड़े किशारों के जुनून और बदलाव लाने के संकल्प के चलते . रवींद्रन आज समाज से जुड़े कई क्षेत्रों में काम करते हैं . हर बार जब वह किसी सामाजिक मुद्दे की पहचान करते हैं , तो अपने संगठन के स्वयंसेवकों के एक समूह को साथ ले जाते हैं . यह समूह मिलकर एक समाधान खोजने की  दिशा में काम करता है .


बच्चों को फिर भेजा स्कूल 



 वर्तमान में रवींद्रन के पास 500 से अधिक सक्रिय स्वयंसेवक हैं , जो नियमित रूप से उनके साथ काम करते हैं . इसके साथ ही लगभग 1000 अन्य लोग हैं , जो परियोजना के आधार पर सहायता के लिए आते हैं . उन्होंने त्रिवेंद्रम , कोच्चि , बेंगलुरु , अमृतसर और कालीकट में 15 परियोजनाओं को अंजाम दिया है और 3,600 से अधिक छात्रों की मदद की है . 

 केरल की बाढ़ के बाद 2018 में रवींद्रन की टीम ने बाद प्रभावित क्षेत्रों में तीन पुस्तकालयों का पुनर्निर्माण किया , छात्रों को उनकी स्कूल ड्रेस दिलायी और 600 बच्चों को बैक टू स्कूल किट ' दी , ताकि बच्चे वापस अपनी पढ़ाई शुरू कर सकें . इसके साथ ही रवींद्रन ने केरल में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के खतरे को कम करने के लिए सितंबर 2019 में ' द लास्ट स्ट्रॉ ' प्रोजेक्ट शुरू किया है .

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